(By Someone like RITESH SINGH)
जीससे प्यार हो उसी से दील टूट जाता है.........
जीसे अपना समझो वही हमसे छूट जाता है..
दूर रहने वाला हमे हमेशा छोटा दीख्ता है...
ये सूरज भी तों हमे हमेशा अकेला दीख्ता है...
उसने भी कीया होगा ये स्ब और सोचा होगा ....
ऐसा क्यों होता है ऐसा क्यों............................१
लोग डरते हैं अपनी गुल्तियाँ जताने में ..
ज़ींदगी काट देते हैं केवल अपनी खूबियाँ बताने में..
दूसरों की खामीयां ही तों ताकत है उनकी..
इसिलिए वक्त नही बीगाड़ते वो दूसरों की ताकत बढाने में..
मेरे मन में यह सवाल बार बार उठता है...
ऐसा क्यों होता है ऐसा क्यों..............................................२
यह दुनिया है या है कोई मंच नाटक का ..
कहॉ कब कैसा नाटक आ जाए हमे कुछ नही पता...
हमे तों पता उनके मुखौटों का भी है नही...
लेकिन कभी-कभी ,कहीं-कहीं,कोई-कोई .....
एक ही मुखौटे में आता है वही जो बाद में पछताता है.....
पर ऐसा क्यों होता है ऐसा क्यों...........................................३
हर ख्वाहीश कुबूल नही होती........पता ही होगा
हर ख्वाहीश कुबूल...मेहनत की कमाई भी हमेशा उसूल नही होती......
अरे ये तों बस कीताबों में लीख्खा है,सच्चाई तों ये है .....
जीतने वाला तों जीतता ही है ,हार के भी कोई - कोई इंसान जीत जाता है....
पर बात ये है की ऐसा क्यों होता है ऐसा क्यों................................५
हर माँ - बाप अपने बेटे को जान से ज़्यादा चाहता है ....
दीन रात की मेहनत से कैसे कैसे पालता है.........
उसी में से ज्यादातर बेटे उन्ही माँ बाप की जो इज्ज़त करते हैं वो सबको पता है.....
अगर नुही पता तों ये की
ऐसा क्यों होता है,ऐसा क्यों होता है................................५
खामीयां तों सुब्में होती हैं कीन्ही की पता चलती हैं..तों कीन्ही की छिपी रहती हैं......
आज़ाद को दाग लगा तों दुनीया ने उसे कैसे ठुकरा दिया...
और भूल गए की दाग तों चाँद में भी है ......
खैर हो सकता है दाग उन्ही के भुलाए जाते हों
जो ऊचाइयों पर होते हैं ,यही सोचकर उसने सब्कुछ सहा, सुना और सोचा....
ऐसा क्यों होता है ऐसा क्यों.......................................६
मैंने आप से पूछा है ,आप चैन से मत बैठना ...
पता लगाना ,आप भी गुनगुनाना आप भी पूंछना......
आप भी पाओगे ऐसा क्यों होता है...ऐसा क्यों होता है ...
न जाने क्यों होता है ....न जाने क्यों होता है...................???????????????
5 comments:
heyy "kaviraj..."
kya khub likha...!!
kehta hai na
'sow sunar ki ek lohar ki'
tumne to prove kar diya
itna gehra sochte ho
i really admire your thoughts
poora dil nichod ke rakh diya
wow!!!!!
tere style me,
yaar......tumne to bilkul phod diya.
really ritesh,it is indeed hearttouching
Aisa is liya hota hain...kun ki Ritesh jo kam kare to wo LAJAWAAB hota hai...gr8 combo...waitin for more such soul touching poems ???
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